राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाते हैं ?


राष्ट्रीय युवा दिवस हर वर्ष 12 जनवरी को भारत में पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। इसे स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को याद करने के लिये मनाया जाता है।

स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाने के लिये वर्ष 1984 में भारतीय सरकार द्वारा फैसला किया गया। तब से पूरे देश 12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाने की शुरुआत हुई।

स्वामी विवेकानंद एक महान इंसान थे जो देश की ऐतिहासिक परंपरा को बनाने रखने और देश का नेतृत्व करने के लिये युवा शक्ति पर विश्वास करते थे ।

राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य


भारत के युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद मानते थे कि युवा देश के महत्वपूर्णं अंग हैं जो देश को आगे बढ़ाता है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत हैं उनके कहे कई शब्द आज भी युवाओं में जोश भरते हैं ।

“महसूस करो कि तुम महान हो और तुम महान बन जाओगें।” – स्वामी विवेकानंद
“उठो, जागो और जब तक मत रुको तब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो। ”– स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। स्वामी विवेकानंद के विचारों और जीवन शैली के द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित करने के द्वारा देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने का फैसला किया गया था।

राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के महत्व को फैलाना है। समाज सुधारक, विचारक स्वामी विवेकानंद के महान विचारों के प्रति जागरूकता फैलाना है।

स्वामी विवेकानंद के दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। आज के पारिदृश्य में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है।

कैसे मनाते हैं 


प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिये छात्रों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों से संबंधित निबंध और लेखन आयोजित किया जाता है ।

इस दिवस का उद्देश्य विवेकानंद की शिक्षाओं एवं आदर्शों को भारतीय युवाओं के लिए रोल मॉडल के रूप में पेश किया जाना है इसलिए उनसे संबंधित वाद विवाद प्रतियोगिता आदि भी होती हैं ।

स्वामी विवेकानंद के जीवन, कार्य शैली, चेतना और आदर्श से सम्बंधित बातें युवाओ के साथ साझा की जाती हैं उनसे सम्बंधित व्याख्यान होते हैं ताकि वे उनसे प्रेरणा ले सकें।

इस दिन देश भर के विध्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते हैं रैलियाँ निकाली जाती हैं प्रतिस्पर्धा जैसे सेमिनार, निबंध-लेखन आयोजित की जाती है प्रदर्शनी आदि लगती है।

स्वामी विवेकानंद के बारे में:


स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था । उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था और वे रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे ।

उन्हें भारत में हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण व राष्ट्रवाद का प्रणेता माना जाता है। वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया था और विश्व से हिन्दू धर्म का परिचय करवाया था।

स्वामी विवेकानंद को उनके प्राचीन हिन्दू दर्शन के ज्ञान, अकाट्य तर्क तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई, 1902 को हुआ था।

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