असत्य पर सत्य की विजय , अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार दिवाली भारत में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाला यह पर्व पूरे देश के लिए खुशहाली लेकर आता है ।
दिवाली आई खुशियाँ लाई :
कहते हैं न हर आदमी का दिन आता है , कुछ ऐसा ही है यह त्योहार इसमें हर व्यक्ति का अच्छा समय आता है , अब आप पूछेंगे कैसे ? तो आइए बताते हैं ।
माना जाता है इस पर्व में घर पर लक्ष्मी माँ स्वयं आती हैं तो शुरुआत होती है साफ सफाई से जिससे कबाड़ वालों का इस समय सीजन माना जाता है ।
रंग रोगन की की दुकानों पर अच्छी खासी बिक्री होती है , दिवाली से पहले ही ग्रह प्रवेश शुभ माना जाता है ऐसे में एक माह पूर्व से ही घर संबंधी सभी वस्तुओं की बिक्री जोर पकड़ती है ।
त्योहारों की श्रृंखला है दिवाली :
दीपावली कोई एक दिवसीय त्योहार नहीं बल्कि एक त्योहारों की श्रृंखला है । करवाचौथकरवाचौथ पर सुहाग के समान , साड़ी , कपड़े, मेकअप आदि की दुकानें ग्राहकों से भरी रहती हैं ।
उसके बाद आता है धनतेरसधनतेरस यानि धनत्रियोदशी इस दिन बर्तन, सोना ,चाँदी, गाड़ियाँ ,कार ,मोटरसाइकिल ,साइकिल व अन्य व्यवसाय अपने उच्च स्तर पर होते हैं ।
धनतेरस के अगले दिन और दिवाली से एक दिन पहले वाला दिन छोटी दिवालीछोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है इसे नरकचतुर्दशीनरकचतुर्दशी भी कहा जाता है ।
इस दिन को यदि गिफ्ट डे या उपहार दिवस बोला जाए तो गलत नहीं होगा , दिवाली की छुट्टी से पूर्व का यह दिन कार्यरत कर्मचारियों के साथ साथ व्यापारियों के बीच आपसी उपहार वितरण में सबसे श्रेष्ठ समझिए ।
कार्य करने वाले लेबर, मजदूर वर्ग, कर्मचारी और व्यवसायी सभी को वे जहां भी काम कर रहे हैं उनके मालिक कुछ न कुछ उपहार देते हैं । जिससे उपहार की दुकानों के साथ मिष्ठान की दुकानें भी जमकर चलती हैं ।
फिर आता है मुख्य दिवस दिवाली इस दिन तो पूजा पाठ , सुबह से शाम , फूलों की बिक्री से लेकर पूजा सामग्री, मिट्टी से बनी मूर्तियां , दिए ( दीपक) की बिकवाली वर्ष की सबसे अधिक होती है ।
दिवाली के अगले दिन आता है ग़ोवर्धन पूजा जिसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है , ये त्योहार गोधन का होने के कारण शहरों की अपेक्षा गाँव में बड़े स्तर पर होता है ।
उसके अगले दिन भाई दूज इस दिन बहनें अपने भाइयों का टीका करती हैं , इस दिन भी मिष्ठान वितरण बहुत अधिक रहता है ।
लक्ष्मी और गणेश की पूजा
शुभ महूर्त में धन की देवी लक्ष्मी और रिद्धि सिद्धि के प्रभु श्री गणेश का पूजन विधिवत किया जाता है , इसमें मिट्टी के बने लक्ष्मी गणेश शुभ माने जाते हैं ।
दीपक जलाना, घर की सजावट, खरीददारी, आतिशबाज़ी, पूजा, उपहार, दावत और मिठाइयाँ पूजा में चार चाँद लगाती हैं ।
दीपावली के पीछे मान्यता :
माना जाता है कि दीपावली के दिन भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात घर अयोध्या लौटे थे। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए।
कार्तिक मास की अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से अयोध्या जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।
यह पर्व अक्टूबर या नवंबर माह में ही पड़ता है ।
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